Sunday, November 24, 2024
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गीता मागदर्शन के साथ मानव जाति को देती है ज्ञान : महंत नृत्य गोपाल दास


◆  गीता जयंती पर आयोजित हुआ कार्यक्रम


अयोध्या । श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष मणिराम दास छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास महाराज ने वाल्यमिकी रामायण भवन मे आयोजित गीता जयंती के अवसर पर कहा कि गीता सिर्फ हिंदू धर्म का मार्गदर्शन ही नहीं करती है। बल्कि सम्पूर्ण मानव जाति को ज्ञान देती है। गीता भारतीय संस्कृति की आधारशिला है। हिन्दू शास्त्रों में गीता का सर्वप्रथम स्थान है।

वाल्यमीक रामायण भवन मे हजारो की संख्या मे उपस्थित वैदिक विद्वान,वटुको और संत धर्माचार्यो ने श्रीमद् भगवद्गीता का सस्वर पाठ किया। उत्तराधिकारी महंत कमलनयन ने कहा कि महाभारत युग में जो कुछ घटित होता है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि तत्कालीन समाज में मानवीय व्यवहार के अधिकांश मानक ध्वस्त हो चले थे। पाण्डवों के साथ अन्याय हुआ। यह बात जानते तो बहुत लोग थे ,पर उनके समर्थन में आने का साहस मुट्ठी भर लोगो ने किया और यही से असत्य, कदाचार, पापाचार अनाचार को जड़ मूल से समाप्त करने का पांचजन्य फूंककर श्रीमदभगवदगीता का जन्म हुआ ।

विहिप नेता शरद शर्मा ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की वाणी से प्रकट हुई श्रीमदभगवदगीता का हम पठन पाठन करे तो हमारा जीवन लोकहितकारी राष्ट्र को गौरवशाली बनाने मे सहयोगी बन जायेगा। लेकिन दुर्भाग्य है इस राष्ट्र का कि जिस धरती पर श्रीमद्भागवत गीता का जन्म हुआ। वहीं इस महाग्रंथ को सर्वसुलभ और लोक कल्याणकारी नहीं बनाया जा रहा है। उन्होने स्मरण कराते हुए कहा गीता जयंती का यह दिन इस अयोध्या के लिए अति महत्वपूर्ण है। छः दिसंबर 1992 को हिन्दी तिथिनुसार “गीता जयंती“ थी।जिस दिन गुलामी का प्रतीक ढांचा समाप्त हुआ।

कार्यक्रम के दौरान वैदिक वटुकों, विद्वानों तथा संतधर्माचार्यो को अंगवस्त्र दक्षिणा देकर सम्मानित किया । इस अवसर पर श्रीमणिराम दास छावनी ट्रस्ट के सचिव कृपालु राम दास “ पंजाबी बाबा “ राम नाम बैंक के मैनेजर पुनीत राम दास,संत जानकी दास, रामरक्षा दास, आनन्दशास्त्री संत बलराम दास,संत राम दास, देवेंद्रपति त्रिपाठी,डॉ रामतेज पांडेय,डॉ तालुकदार ,पंडित अनिरुद्ध शुक्ल, पंडित राम शंकर द्विवेदी, राजेंद्र पांडे, पं विश्वनायक,प्रधानाचार्य इंद्रेव मिश्रा, नारद भट्टाराई, दुर्गा प्रसाद गौतम,आचार्य ऋषभ शर्मा,पंडित उमेश पांडे,श्रुतिधर दिवेदी, दीपक शास्त्री अनिरुद्ध शुक्ल , महंत रामकृष्ण दास, विमलकृष्ण दास , संत रामशंकर दास उपस्थित रहे।

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