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इतनी सजावट के बावजूद तुम्हारे घर में उदासी है –कवि तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु

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अंबेडकर नगर, 15 जनवरी। मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर अम्बेडकर नगर साहित्य संगम के तत्वावधान में युवा कवि संजय सवेरा के संयोजन एवं प्रख्यात मंच संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु के संचालन में अखिल भारतीय ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कानपुर के वरिष्ठ साहित्यकार पंडित विद्या शंकर अवस्थी ने किया , कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विद्वान कवि नरेंद्र भूषण लखनऊ तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में कानपुर के अशोक कुमार गुप्ता अचानक , विकास शुक्ल अक्षत व्योम तथा डॉ आदित्य कुमार कटियार अजीब रहे। सर्वप्रथम कार्यक्रम के संरक्षक सलाहकार आजमगढ़ के कवि उदय नारायण सिंह निर्झर ने मां शारदे की वंदना अपनी लोकभाषा में किया। इसके बाद कवियों ने अपनी अपनी रचनाओं से समां बांधा। दिल्ली के युवा कवि गुलशन कुमार ने भ्रूणहत्या पर अपनी रचना पढ़ी ! निर्झर ने पढ़ा– कहां है हिंदुस्तान, संजय सवेरा ने पढ़ा –अपनी परछाई से भी खौफ खाता है आदमी, विकास शुक्ल अक्षत व्योम ने पढा –पहाड़ पर मेरा गांव है, डॉ आदित्य कुमार अजीब ने पढ़ा–मिलने का उसने रोज बहाना बना लिया , मेरे ही दिल को जब से ठिकाना बना लिया !अभिषेक त्रिपाठी ने पढ़ा– सबने मिलकर बाग उजाड़ा किसका किसका नाम बताऊं ! दुनिया मुझसे चाह रही है पीड़ा गाकर चुप हो जाऊं ! कानपुर के कवि त्रिभुवन शंकर मिश्र चातक ने पढ़ा – ऋतु परिवर्तन पर्व यह , देता शुभ संदेश ! शीत उष्ण के दिन मिले प्रकृति संवारे केश !! संचालक तारकेश्वर मिश्र जिज्ञासु ने पढ़ा– इतनी सजावट के बावजूद तुम्हारे घर में उदासी है ! ढूंढ लो कारण शायद तुम्हारे नाम का ही जिक्र आए !! मुख्य अतिथि नरेन्द्र भूषण ने पढा –देते हैं खुशबू हमें , जो चंदन से लोग । जो कड़वे हैं नीम से , उनके भी उपयोग !! कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विद्याशंकर अवस्थी ने पढ़ा–मैंने तो दीप जलाए थे धरती से तिमिर हटाने को , दीपक बेचारे क्या करते तूफान आ गया बुझाने को ! पढ़ कर सभी का धन्यवाद ज्ञापित कर मकर संक्रांति की बधाई दी।

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